675. #जब_बाबासाहेब_ने_कहा_मैं_अछूत_हूं...✍️✍️
जब बाबा साहेब कोलंबिया विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी करके भारत वापस आये तो एक स्टेशन पर उतरे,
बाबा साहेब के दोनों हाथों में बडी़ बडी़ सुटकेस थी स्टेशन के बाहर एक टाँगे वाला खडा़ था
बाबा साहब का गाँव स्टेशन से 6 कि.मी.दूर था।
बाबा साहब ने अपने गांव का नाम लेते हुए उस टाँगे वाले से कहा...गाँव चलोंगे,
टाँगे वाले ने कहाँ,
हाँ साहब चलेंगे..चार पैसे मे गाँव चलना तय हुआ।
1. बाबा साहब दोनों सुटकेस टाँगे मे रखकर बैठ गये,
दो कि.मी. चलने के बाद बातों बातों मे टाँगे वाले ने बाबा साहब को पूछा "साहब आप किस जाति के हो?"
बाबा साहब सुट बूट टाई लगाये हुये थे।
बाबा साहब कभी झूठ नहीं बोलते थे,
बाबा साहब ने टाँगे वाले से कहा #मै_अछूत_हूँ
टाँगे वाले को आश्चर्य हुआ "क्या साहब मजाक करते हो"
बाबा साहब ने कहा "नहीं मैं मजाक नहीं कर रहा हूं,
मैं महार जाति से हूं"
इतना सुनते ही टाँगे वाले ने टाँगा रोक दिया और कहा "#अरे_रे_उतरो_उतरो_मेरी_गाड़ी_से_उतरो"
बाबा साहब के सामने उस टाँगे वाले की कोई औकात नहीं थी।
#टाँगे_वाला_घुटने_तक_एक_मैली_सी_धोती_फटा_मैला सा कुर्ता पहने हुआ था,
फर्क था तो सिर्फ जाति का था,
टाँगे वाला बाबा साहब से केवल एक पायदान ऊँची जाति का था
ये वो जाति है जिसके लिये बाबा साहाब ने काँग्रेस में कानून मंत्री रहते हुए उस जाति को काँग्रेस सरकार ने आरक्षण नहीं देने के कारण से मंत्रीपद से त्यागपत्र दे दिया था यानि "OBC "
2. टाँगे वाला
"अरे मेरी गाडी़ को अपवित्र कर दिया अब मुझे गाडी़ पर गौमूत्र छिड़कना पड़ेगा उसका शुद्धीकरन करना पड़ेगा "
अरे साहब छोटी जाति के हो,छोटी जाति जैसे रहा करो,
आप को सुट बूट पर देखकर मैं धोखा खा गया।
बाबा साहाब ने उस टाँगे वाले से विनती करते हुये कहा
"भाई मैं सिर्फ छोटी जाति का हूं करके तुम मुझे गाडी़ पर नही बिठाओंगे?
टाँगे वाला "नहीं मैं नहीं बिठाऊंगा,आप पैदल जाओ"
3. बाबा साहब की उस समय मज़बूरी थी,
शाम का वक्त हो चला था,अँधेरा बस होने ही वाला था। बाबा साहाब ने फिर उस टाँगे वाले से कहा
"भाई मैं तुम्हे डबल पैसे दूंगा पर तुम मुझे मेरे गाँव तक छोडो़।
मेरे पास दो बडी़ बडी़ सुटकेस है और रात बस होने वाली है मैं पैदल नहीं जा सकूंगा। डबल पैसे के लालच में गाडी़ वाला बाबा साहब को गाँव छोड़ने को तैयार हुआ।
टाँगे वाले ने कहा "मै आप को गाँव छोड़ दूंगा, पर मेरी एक शर्त है"
बाबा साहाब ने पूछा "कौन सी शर्त? मै तो डबल पैसे देने को राजी हूँ "
टाँगे वाले ने कहा "डबल पैसे तो आप दोंगे, पर आप छोटी जाति से हो इसलिये
#गाडी़_आप_चलाओंगे_मैं_बैठूँगा।
4. बाबा साहब की मजबूरी थी उन्होनें गाडी़ वाले की शर्त मान ली।
एक मैला भिखारी सा दिखने वाला वो टाँगे वाला एक इतने बडे़ बाबा साहब के सामने शर्त रखता और मज़बूरी में बाबा साहब को मानना पडा़।
उस समय जातिवाद चरम पर था, इसलिये बाबा साहब को उस टाँगे वाले की शर्त माननी पडी।
बाबा साहाब ने कहा "मुझे मंजूर है" बाबा साहब को कैसे भी अपने गाँव पहुंचना था।
बाबा साहब की जगह बैठा टाँगे वाला और टाँगे वाले की जगह बैठे बाबा साहब गाडी़ चलाते हुये तीन कि.मी. चल पड़े।
अँधेरे का समय और बाबा साहब को गाडी़ चलाने का उतना अनुभव न होने के कारण गाडी़ का एक पहिया गढ्ढे में चला गया और गाडी़ पलट गयी।
टाँगे वाला गाडी़ पर से कूद गया, पर बाबा साहब गिर गये।
उनके घुटने पर चोट आयी इसके बाद गाडी़ वाला आगे तक नहीं जा सका।
शर्त के अनुसार बाबा साहब ने गाडी़ वाले को डबल पैसे दिये और दोनों हाथों में सुटकेस जिसमें बाबा साहब के कपडे़ और किताबें थी लेकर बाबा साहेब पैदल ही अपने घर की और चल पड़े जो अभी एक कि.मी. दूर था।
जैसे तैसे घुटने मे चोट के कारण लंगड़ाते हुये बाबा साहब घर पहुँचकर "रमा.. रमा.." करके रमा बाई को आवाज लगायी।
रमा बाई अपने हाथों में लालटेन लिये अपने साहब की आवाज सुनकर बाहर आयी,
देखा तो बाबा साहब लंगडाते हुये चल रहे थे।
रमाबाई ने बाबा साहब से पूछा "क्या हुआ,
साहब क्यों लंगड़ाते हुये चल रहे हो?"
बाबा साहब की आँखे भीग गयी,
उन्होनें रूँदे गले से कहा "देख रमा जिस देश में मेरा जन्म हुआ है उस देश के लोग मुझे पानी को हाथ नहीं लगाने देते, गाडी़ वाला गाडी़ पर नहीं बिठाता।
कितना जातिवाद का जहर है इस देश मे?
5. मैं आज पराये देश से आ रहा हूँ वहाँ मेरा कितना सम्मान होता है। वहाँ मुझे Doctor of literature की उपाधि मिली
वहां के कुलगुरू ने #मुझे_अपना_मूल्यवान_पैन_भेट किया है।
फिर बाबा साहेब ने कहा कि जब मेरे जैसे पढ़े लिखे और विद्वान की ये दशा है
तो मेरा समाज तो बिलकुल ही अनपढ नादान है।
"ये जातिवाद तो मेरे समाज को पैरो तले रौंद डालेगा,
मुझे कुछ करना चाहिए"
#Note:- इस तरह न जाने बाबा साहेब ने कितनी मुश्किलो को सहा,
बाबा साहब की उपरोक्त करूणामयी घटना से हम सभी को सबक लेना चाहिए,
कहीं ऐसा न हो कि हम लोगों की नासमझी से पुनः इसी तरह की स्थिति में न आ जायें,
क्यों कि आज जो देश की स्थिति है वह किसी से छिपी नहीं है।
चारो ओर भय व आतंक की स्थिति पैदा की जा रही और आये दिन अपराधों की बाढ़ सी आ गयी है।
बाबा साहेब के सभी बच्चें जुड़े रहिएगा,
कोशिश करूँगा आपके समक्ष बाबा साहेब से संबंधित कुछ इसी प्रकार अनमोल जानकारियां भविष्य में प्रस्तुत कर सकूं,
जब भी समय मिलेगा तब तब बाबा साहेब के सम्मान में कुछ अन्य शब्द लेकर अवश्य आऊगा,
तब तक के लिए जय भीम नमो बुद्धाय🙏
Vishwambar Singh
जब बाबा साहेब कोलंबिया विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी करके भारत वापस आये तो एक स्टेशन पर उतरे,
बाबा साहेब के दोनों हाथों में बडी़ बडी़ सुटकेस थी स्टेशन के बाहर एक टाँगे वाला खडा़ था
बाबा साहब का गाँव स्टेशन से 6 कि.मी.दूर था।
बाबा साहब ने अपने गांव का नाम लेते हुए उस टाँगे वाले से कहा...गाँव चलोंगे,
टाँगे वाले ने कहाँ,
हाँ साहब चलेंगे..चार पैसे मे गाँव चलना तय हुआ।
1. बाबा साहब दोनों सुटकेस टाँगे मे रखकर बैठ गये,
दो कि.मी. चलने के बाद बातों बातों मे टाँगे वाले ने बाबा साहब को पूछा "साहब आप किस जाति के हो?"
बाबा साहब सुट बूट टाई लगाये हुये थे।
बाबा साहब कभी झूठ नहीं बोलते थे,
बाबा साहब ने टाँगे वाले से कहा #मै_अछूत_हूँ
टाँगे वाले को आश्चर्य हुआ "क्या साहब मजाक करते हो"
बाबा साहब ने कहा "नहीं मैं मजाक नहीं कर रहा हूं,
मैं महार जाति से हूं"
इतना सुनते ही टाँगे वाले ने टाँगा रोक दिया और कहा "#अरे_रे_उतरो_उतरो_मेरी_गाड़ी_से_उतरो"
बाबा साहब के सामने उस टाँगे वाले की कोई औकात नहीं थी।
#टाँगे_वाला_घुटने_तक_एक_मैली_सी_धोती_फटा_मैला सा कुर्ता पहने हुआ था,
फर्क था तो सिर्फ जाति का था,
टाँगे वाला बाबा साहब से केवल एक पायदान ऊँची जाति का था
ये वो जाति है जिसके लिये बाबा साहाब ने काँग्रेस में कानून मंत्री रहते हुए उस जाति को काँग्रेस सरकार ने आरक्षण नहीं देने के कारण से मंत्रीपद से त्यागपत्र दे दिया था यानि "OBC "
2. टाँगे वाला
"अरे मेरी गाडी़ को अपवित्र कर दिया अब मुझे गाडी़ पर गौमूत्र छिड़कना पड़ेगा उसका शुद्धीकरन करना पड़ेगा "
अरे साहब छोटी जाति के हो,छोटी जाति जैसे रहा करो,
आप को सुट बूट पर देखकर मैं धोखा खा गया।
बाबा साहाब ने उस टाँगे वाले से विनती करते हुये कहा
"भाई मैं सिर्फ छोटी जाति का हूं करके तुम मुझे गाडी़ पर नही बिठाओंगे?
टाँगे वाला "नहीं मैं नहीं बिठाऊंगा,आप पैदल जाओ"
3. बाबा साहब की उस समय मज़बूरी थी,
शाम का वक्त हो चला था,अँधेरा बस होने ही वाला था। बाबा साहाब ने फिर उस टाँगे वाले से कहा
"भाई मैं तुम्हे डबल पैसे दूंगा पर तुम मुझे मेरे गाँव तक छोडो़।
मेरे पास दो बडी़ बडी़ सुटकेस है और रात बस होने वाली है मैं पैदल नहीं जा सकूंगा। डबल पैसे के लालच में गाडी़ वाला बाबा साहब को गाँव छोड़ने को तैयार हुआ।
टाँगे वाले ने कहा "मै आप को गाँव छोड़ दूंगा, पर मेरी एक शर्त है"
बाबा साहाब ने पूछा "कौन सी शर्त? मै तो डबल पैसे देने को राजी हूँ "
टाँगे वाले ने कहा "डबल पैसे तो आप दोंगे, पर आप छोटी जाति से हो इसलिये
#गाडी़_आप_चलाओंगे_मैं_बैठूँगा।
4. बाबा साहब की मजबूरी थी उन्होनें गाडी़ वाले की शर्त मान ली।
एक मैला भिखारी सा दिखने वाला वो टाँगे वाला एक इतने बडे़ बाबा साहब के सामने शर्त रखता और मज़बूरी में बाबा साहब को मानना पडा़।
उस समय जातिवाद चरम पर था, इसलिये बाबा साहब को उस टाँगे वाले की शर्त माननी पडी।
बाबा साहाब ने कहा "मुझे मंजूर है" बाबा साहब को कैसे भी अपने गाँव पहुंचना था।
बाबा साहब की जगह बैठा टाँगे वाला और टाँगे वाले की जगह बैठे बाबा साहब गाडी़ चलाते हुये तीन कि.मी. चल पड़े।
अँधेरे का समय और बाबा साहब को गाडी़ चलाने का उतना अनुभव न होने के कारण गाडी़ का एक पहिया गढ्ढे में चला गया और गाडी़ पलट गयी।
टाँगे वाला गाडी़ पर से कूद गया, पर बाबा साहब गिर गये।
उनके घुटने पर चोट आयी इसके बाद गाडी़ वाला आगे तक नहीं जा सका।
शर्त के अनुसार बाबा साहब ने गाडी़ वाले को डबल पैसे दिये और दोनों हाथों में सुटकेस जिसमें बाबा साहब के कपडे़ और किताबें थी लेकर बाबा साहेब पैदल ही अपने घर की और चल पड़े जो अभी एक कि.मी. दूर था।
जैसे तैसे घुटने मे चोट के कारण लंगड़ाते हुये बाबा साहब घर पहुँचकर "रमा.. रमा.." करके रमा बाई को आवाज लगायी।
रमा बाई अपने हाथों में लालटेन लिये अपने साहब की आवाज सुनकर बाहर आयी,
देखा तो बाबा साहब लंगडाते हुये चल रहे थे।
रमाबाई ने बाबा साहब से पूछा "क्या हुआ,
साहब क्यों लंगड़ाते हुये चल रहे हो?"
बाबा साहब की आँखे भीग गयी,
उन्होनें रूँदे गले से कहा "देख रमा जिस देश में मेरा जन्म हुआ है उस देश के लोग मुझे पानी को हाथ नहीं लगाने देते, गाडी़ वाला गाडी़ पर नहीं बिठाता।
कितना जातिवाद का जहर है इस देश मे?
5. मैं आज पराये देश से आ रहा हूँ वहाँ मेरा कितना सम्मान होता है। वहाँ मुझे Doctor of literature की उपाधि मिली
वहां के कुलगुरू ने #मुझे_अपना_मूल्यवान_पैन_भेट किया है।
फिर बाबा साहेब ने कहा कि जब मेरे जैसे पढ़े लिखे और विद्वान की ये दशा है
तो मेरा समाज तो बिलकुल ही अनपढ नादान है।
"ये जातिवाद तो मेरे समाज को पैरो तले रौंद डालेगा,
मुझे कुछ करना चाहिए"
#Note:- इस तरह न जाने बाबा साहेब ने कितनी मुश्किलो को सहा,
बाबा साहब की उपरोक्त करूणामयी घटना से हम सभी को सबक लेना चाहिए,
कहीं ऐसा न हो कि हम लोगों की नासमझी से पुनः इसी तरह की स्थिति में न आ जायें,
क्यों कि आज जो देश की स्थिति है वह किसी से छिपी नहीं है।
चारो ओर भय व आतंक की स्थिति पैदा की जा रही और आये दिन अपराधों की बाढ़ सी आ गयी है।
बाबा साहेब के सभी बच्चें जुड़े रहिएगा,
कोशिश करूँगा आपके समक्ष बाबा साहेब से संबंधित कुछ इसी प्रकार अनमोल जानकारियां भविष्य में प्रस्तुत कर सकूं,
जब भी समय मिलेगा तब तब बाबा साहेब के सम्मान में कुछ अन्य शब्द लेकर अवश्य आऊगा,
तब तक के लिए जय भीम नमो बुद्धाय🙏
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