Skip to main content

ईश्वर या ग्रंथों का सर्व प्राचीन होने का दावा

#सर्व_प्राचीन_धर्म 

यदि धर्म को आधुनिक परिदृश्य के आधार पर देखा जाये तो सभी धर्म 3500 BC से पुराने नहीं हैं।

बाकी सब इनसे जुड़ी तथ्यहीन मान्यतायें हैं जैसे हिन्दू (सनातन) का सदा से होना, जैन और बौद्ध का भी सबसे प्राचीन होने का दावा करना, यहूदी का अपना मत है।
पर कुल मिलाकर ये कोई भी धर्म उपरोक्त अवधि से अधिक प्राचीन नहीं है।

यदि प्राचीन सभ्यताओं की बात करें तो हड़प्पा, इजिप्ट, Norte Chico, Mayan, Jiahu, रोमन और मेसोपोटामिया सबसे प्राचीन विकसित सभ्यताएं मानी जाती हैं, जिनमें से मेसोपोटामिया सर्व प्राचीन मानी गई है ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर। इस सभ्यता तक कोई धर्म उदित नहीं हुआ था, यहां पर प्रकृति और कुछ गुणों को ही भय से पूजा जाता था।
इसके पूज्य किसी भी आधुनिक धर्म से किसी भी प्रकार सम्बंधित नहीं हैं न ही समानता रखते हैं।

हालांकि हड़प्पा सभ्यता से अपना सम्बंध दिखाने के लिये हिन्दू इसमें नंदी, शिवलिंग का और बुद्धिस्ट इसमें बौद्ध प्रतिमा के मिलने की अफवाहें फैलाते रहते हैं। अब ये तो साधरण सी बात है कि हर धर्म अपने को सर्वाधिक प्राचीन और वैज्ञानिक दिखाने की होड़ में हैं।

लेकिन ऐसा नहीं है की इन सभ्यताओं से पहले कोई सभ्यता नहीं रहीं, रहीं हैं पर वो विकसित नहीं रहीं बल्कि कबीलाई रहीं हैं जैसे Totemism, Animism इत्यादी।
इन सभ्यताओं तक ईश्वर की कल्पनाओं का ताना बाना नहीं बुन पाया था, इसमें कल्पनों के पंख लगाकर आने वाली सभ्यताओं में धीरे धीरे ईश्वर का समावेश किया गया। 

अब विचारणीय बात ये है कि जिस ईश्वर या ग्रंथों का सर्व प्राचीन होने का दावा करके सामाजिक असहिष्णुता बढ़ाई जाती है उनका तो कोई वजूद ही नहीं रहा 5500 साल से पहले तक, जबकि मानवों का रहा है।
तो फ़िर शब्दों के घुमावोँ से बाहर निकलिए और फ़िर से सोचिये, क्या धर्म वास्तव में प्राचीन है?

Comments

Popular posts from this blog

नास्तिक -चार्वाक ऋषि -- जगत सत्यम ब्रह्म मिथ्या!!

 4 नास्तिक -चार्वाक ऋषि -- जगत सत्यम ब्रह्म मिथ्या!!                  नास्तिक दर्शन भारतीय दर्शन परम्परा में उन दर्शनों को कहा जाता है जो वेदों को नहीं मानते थे। भारत में भी कुछ ऐसे व्यक्तियों ने जन्म लिया जो वैदिक परम्परा के बन्धन को नहीं मानते थे वे नास्तिक कहलाये तथा दूसरे जो वेद को प्रमाण मानकर उसी के आधार पर अपने विचार आगे बढ़ाते थे वे आस्तिक कहे गये। नास्तिक कहे जाने वाले विचारकों की तीन धारायें मानी गयी हैं - चार्वाक, जैन तथा बौद्ध। . चार्वाक दर्शन एक भौतिकवादी नास्तिक दर्शन है। यह मात्र प्रत्यक्ष प्रमाण को मानता है तथा पारलौकिक सत्ताओं को यह सिद्धांत स्वीकार नहीं करता है। यह दर्शन वेदबाह्य भी कहा जाता है। वेदबाह्य दर्शन छ: हैं- चार्वाक, माध्यमिक, योगाचार, सौत्रान्तिक, वैभाषिक, और आर्हत। इन सभी में वेद से असम्मत सिद्धान्तों का प्रतिपादन है। चार्वाक प्राचीन भारत के एक अनीश्वरवादी और नास्तिक तार्किक थे। ये नास्तिक मत के प्रवर्तक बृहस्पति के शिष्य माने जाते हैं। बृहस्पति और चार्वाक कब हुए इसका कुछ भी पता नहीं है। बृहस्पति को चाणक्य न...

बौद्धों को मध्ययुगीन भारत में "बुद्धिस्ट-वैष्णव" (Buddho-Vaishnavas) क्यों बनना पडा था|

 बौद्धों को मध्ययुगीन भारत में "बुद्धिस्ट-वैष्णव" (Buddho-Vaishnavas)  क्यों बनना पडा था| अनेक लोग यह मानते हैं कि, सम्राट हर्षवर्धन और बंगाल के पाल सम्राटों के बाद भारत से बौद्ध धर्म खत्म हुआ था, लेकिन यह गलत है| मध्ययुगीन काल में भारत से बौद्ध धर्म खत्म नहीं हुआ था, बल्कि वह प्रछन्न वैष्णव धर्म के रूप में जीवित था|  ब्राम्हणों ने बौद्ध धर्म के खिलाफ भयंकर हिंसक अभियान सम्राट हर्षवर्धन की मृत्यु (सन 647) के बाद चलाया था| बौद्धों का खात्मा करने के लिए पाशुपत और कापालिक जैसे हिंसक शैव पंथ बनाए गए थे| आदि शंकराचार्य खुद शैव पंथी था और उसने बौद्ध विहारों पर कब्जा करने के लिए ब्राम्हणवादी साधुओं की खास सेना बनवाई थी, ऐसा प्रसिद्ध इतिहासकार तथा संशोधक जियोवान्नी वेरार्डी ने बताया है|  हिंसक शैवों ने बुद्ध के स्तुपों को और सम्राट अशोक के शिलास्तंभों को हिंसक युपों में तब्दील कर दिया था, जहाँ पर शेकडो प्राणियों की बलि दी जाती थी और बुद्ध के अहिंसा तत्व का खुलेआम विरोध किया जाता था| कुछ यज्ञों के युपों पर आज भी नीचे बुद्ध की मुर्ति दिखाई देती है| शैवों और बौद्धों के बीच चले ...

डॉ_अंबेडकर_और_करपात्री_महाराज

*डॉ_अंबेडकर_और_करपात्री_महाराज* *बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जब हिन्दू कोड बिल तैयार करने में लगे थे तब बनारस/कांशी के सबसे बड़े धर्मगुरु स्वामी करपात्री महाराज उर्फ हरिनारायण ओझा उर्फ हरिहरानन्द सरस्वती, जिन्होंने 'अखिल भारतीय रामराज्य परिषद' नामक एक राजनैतिक दल की स्थापना की थी जिसने 1952 में लोकसभा के प्रथम आम चुनाव में 03 सीटें जीतीं थी, ने बाबासाहेब को बहस करने की चुनौती दे डाली।*  *करपात्री ने कहा, "डॉ0 अम्बेडकर एक अछूत हैं वे क्या जानते हैं हमारे धर्म के बारे मे, हमारे ग्रन्थ और शास्त्रों के बारे में, उन्हें कहाँ संस्कृत और संस्कृति का ज्ञान है ? यदि उन्होंने हमारी संस्कृति से खिलवाड़ किया तो उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे।"*  *करपात्री महाराज ने डॉ0 अम्बेडकर को इस पर बहस करने हेतु पत्र लिखा और निमंत्रण भी भेज दिया।*  *उस समय करपात्री महाराज दिल्ली में यमुना के किनारे निगम बोध घाट पर एक आश्रम में रहते थे।*  *बाबासाहेब बहुत शांत और शालीन स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्होंने आदर सहित करपात्री महाराज को पत्र लिखकर उनका निमंत्रण स्वीकार किया और कहा कि ...