"सही और गलत" सही और गलत कुछ भी ऊपर से बन कर नहीं आता, सही और गलत हम खुद और हमारा समाज ये मिलकर निर्धारित करते हैं, जैसे किसी के लिए मास खाना गलत है और किसी के लिए सही है, मास खाना सही बताने वाले को एहसास भी नही होता कि वो गलत है, आज से पहले राजा महाराजा एक से ज्यादा शादिया करते थे, और उनकी पत्नियों को भी कोई आपत्ति नहीं होती थी, क्योंकि उस समय पर समाज ने इसे सही निर्धारित कर रखा था, जैसे एक सैनिक किसी दूसरे देश के सैनिक को मारे तो वो सही है, क्योंकि हमारा देश उसे सही ठहराता है, वही अगर दूसरी जगह कोई दूसरा इंसान किसी व्यक्ति को मारे, चाहे फिर वो मरने वाला व्यक्ति कितना भी बुरा ही क्यूं ना हो, पर हमारा देश ये स्विकार नहीं करता, इसलिय मारने वाले व्यक्ति को अपनी गलती की सजा भुगतनी पड़ती है, पुराने समय में जो हुआ वो सही था, ऐसा नहीं कहा जा सकता, क्योंकि समय के साथ हमारी सोच बदलती रहती है, हां ये कहा जा सकता है, कि उस समय उनके लिए शायद वही सही था, जैसे पुराने समय से हमें बताया गया है कि कोई ईश्वर है जो हम से ऊपर है और वही मानव को पाप और पुण्य के हिसाब से सजा देता है, तब कोई भी मान...