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Showing posts from September, 2021

"सही और गलत"

 "सही और गलत" सही और गलत कुछ भी ऊपर से बन कर नहीं आता, सही और गलत हम खुद और हमारा समाज ये मिलकर निर्धारित करते हैं, जैसे किसी के लिए मास खाना गलत है और किसी के लिए सही है, मास खाना सही बताने वाले को एहसास भी नही होता कि वो गलत है, आज से पहले राजा महाराजा एक से ज्यादा शादिया करते थे, और उनकी पत्नियों को भी कोई आपत्ति नहीं होती थी, क्योंकि उस समय पर समाज ने इसे सही निर्धारित कर रखा था, जैसे एक सैनिक किसी दूसरे देश के सैनिक को मारे तो वो सही है, क्योंकि हमारा देश उसे सही ठहराता है, वही अगर दूसरी जगह कोई दूसरा इंसान किसी व्यक्ति को मारे, चाहे फिर वो मरने वाला व्यक्ति कितना भी बुरा ही क्यूं ना हो, पर हमारा देश ये स्विकार नहीं करता, इसलिय मारने वाले व्यक्ति को अपनी गलती की सजा भुगतनी पड़ती है, पुराने समय में जो हुआ वो सही था, ऐसा नहीं कहा जा सकता, क्योंकि समय के साथ हमारी सोच बदलती रहती है, हां ये कहा जा सकता है, कि उस समय उनके लिए शायद वही सही था, जैसे पुराने समय से हमें बताया गया है कि कोई ईश्वर है जो हम से ऊपर है और वही मानव को पाप और पुण्य के हिसाब से सजा देता है, तब कोई भी मान...

"जीव हत्या और मासाहार भोजन सही या गलत"

 "जीव हत्या और मासाहार भोजन सही या गलत" प्रकृति की हर प्रजाति एक जीव है, जिसमे मानव भी आता है, और प्रकृति का हर जीव किसी अन्य जीव पर ही निर्भर करता है, धरती पर कुछ जीव अन्य जीव को खा कर गुजारा करते हैं और कुछ शाकाहारी भोजन खाते हैं, जो जीव मासाहारी भोजन खाते हैं उन्हें प्रकृति ने ऐसा ही बनाया है और वो अन्य जीव के दर्द को समझने में भी सक्षम नहीं हैं, पर दूसरी और अगर मानव को देखा जाए तो वो दुसरो के दर्द को महसूस कर सकता है, पर ये बात भी सत्य है की धरती पर पैदा हुये हर जीव को अपने बारे में सोचने का पूरा अधिकार है, जीव हत्या मानव के लिए सही है या गलत वो ईस बात पर निर्भर करता है की वो दूसरा जीव मानव के लिए खतरनाक कितना है, जैसे हम एक मच्छर को, एक कॉकरोच को बिना सोचे समझे मार देते हैं क्योंकि हमे पता है की हम नहीं मारेंगे तो वो हमारे लिए नुकसानदयाक होगा, पर वही दुसरी और हम एक कुत्ते बिल्ली आदि को नहीं मारते क्यूंकि वो हमारे लिए नुकसानदयाक नहीं है,अगर हम शेर की बात करें तो हम उसे भी नहीं मारते हैं क्योंकि हमारे पास उसके लिए भी एक विकल्प है "जंगल", ये बातो से साफ है की जब त...

Q :- पाप और पुण्य क्या है, क्या पृथ्वी से बहार भी इसकी कोई सज़ा है"?

 Q :- पाप और पुण्य क्या है, क्या पृथ्वी से बहार भी इसकी कोई सज़ा है"?  Ans :- मैं आपको समझा सकता हूँ, पाप और पुण्य क्या है, पर उसके लिए आपको अपने मन से सारी पुराणी बातें निकालनी होंगी, तभी आप समझ पाएंगे, पाप और पुण्य का सम्बन्ध किसी परमात्मा से नहीं है, न ही हमारी आत्मा 84 लाख योनिओ में जाती है, पृथ्वी पर हर जीव का उतना ही हक़ है जितना एक मानव का और हर जीव के जीवन में सुख और दुःख दोनों हैं जैसे की एक मानव के जीवन में, पाप और पुण्य का सम्बन्ध सिर्फ और सिर्फ आपके समाज से, आपसे जुड़े हुए कुछ अन्य व्यक्तियों से और आपके देश के कानून से है, जिस चीज़ की सज़ा आपके देश में नहीं है, उस चीज़ की सज़ा आपको कही और भी नहीं मिलती, जैसे कि मान लो एक बच्चा जन्म लेते ही अपाहिज पैदा हो गया, तो इसका सम्बन्ध सिर्फ और सिर्फ उसकी माँ से है, ये उनकी गलती का नतीजा है, जैसे गलत दवाई खाने से, या कोई और गलत चीज़ खाने से, अब मान लो सरकार इसकी सज़ा घोषित कर दे की जिसका बच्चा अपाहिज पैदा होगा, उसको सज़ा दी जाएगी तब वो उनका पाप हो जायेगा पर अगर हमारे समाज और देश में इसके लिए सज़ा नही तो फिर कोई और सज़ा नही है आपके लिए, म...

कौन सा धर्म सच्चा कौन सा झूठा कौन सा बड़ा कौन सा छोटा"

 "कौन सा धर्म सच्चा कौन सा झूठा कौन सा बड़ा कौन सा छोटा" जब पृथ्वी पर मानव जाति की उत्पति हुई तब कोई धर्म नहीं था पृथ्वी पर, आज जैसे हम कोरोना वायरस को मान रहे हैं की ये चीन में पैदा हुआ, वैसा ही मानव जीव की उत्पति भी अफ्रीका में हुई, ये बिलकुल सत्य है की हर चिज़ की शुरुआत कहीं न कहीं से तो होती ही है, अब जब मानव की उत्पत्ती हुई धरती पे तो वो कहीं एक जगह नहीं रुका, इधर उधर भटकता रहा और ऐसे ही वो पूरी धरती पर फैल गया, जब इंसान छोटे छोटे समुह बना के रहने लगा, तब उन्हे कुछ नियम बनाने की जरुरत पड़ी, अब हर समूह ने अपने आप को एक नाम दे दिया, जैसे आर्या, मुलनिवासी या और भी कई तरह के नाम, अगर इतिहासकारों और विज्ञान के हिसाब से माने तो पहला धर्म हिंदू धर्म था, पर ये सत्य नहीं है की हर मानव हिंदू था, क्यूकी उस समय सब मानव एक दूसरे के संपर्क में नहीं थे,जैसे आज हम सिर्फ कल्पना करते हैं की कहीं और ग्रह पर भी हमारे जैसे मानव रहते होंगे, वैसे ही उस समय भी वो एक कल्पना थी की हमारी तरह दूसरी जगह भी और मानव रहते होंगे, हिंदू धर्म को देख कर फिर दुसरे स्मुहो ने भी अपना धर्म बनाया, जैसे याहुदी ध...

मोक्ष क्या है, क्या आत्मा होती है"?

 "मोक्ष क्या है, क्या आत्मा होती है"? हमारे पूर्वजो या हमारे ग्रंथो के हिसाब से मोक्ष का मतलब है जीने मरने से मुक्ति, अब मैं आप लोगो से एक सवाल करना चाहूंगा क्या आत्मा सोच समझ सकती है, इसका जवाब होगा नहीं, क्योंकि सब जानते हैं दिमाग हमारे शरीर का हिस्सा है आत्मा का नहीं, अगर आत्मा के पास दिमाग होता है तो उस हिसाब से तो हर जानवर समझदार होता, अब बात करते हैं क्या इंसान की आत्मा ही दुसरे जानवर के भी शरीर में जाती है, इसका भी जवाब है नहीं, हर जीव अपनी लाइफ में खुश भी है और दुखी भी, अगर इंसान की आत्मा ही पाप भोगने दुसरे जीव के शरीर में जाती है तो हर जीव एक सम्मान होना चाहिए था, क्योंकि वो आत्मा तो पाप भोगने गई है उस जीव में, पर ऐसा नहीं है कोई कुत्ता बडे बड़े महलो मे रहते हैं और कोई सड़को पर, कोई शेर जंगल का राजा तो कोई सर्कस का कार्टून, और दुसरी वजह अगर इंसान की आत्मा दुसरे जीवो में जा कर अपने पाप भोग कर आ चुकी है, तो फ़िर हर बच्चा पैदा ही अंबानी क्यू नहीं होता, हर बच्चा पैदा ही पूर्ण रूप से स्वस्थ क्यों नहीं होता है क्यों कोई लूला लंगड़ा पैदा होता है, कभी किसी ने सोचा है की किस...

क्या ब्रह्माण्ड में कोई शक्ति है, क्या वही शक्ति ईश्वर है वो सर्वज्ञाता, सर्वशक्तिमान है?

 क्या ब्रह्माण्ड में कोई शक्ति है, क्या वही शक्ति ईश्वर है वो सर्वज्ञाता, सर्वशक्तिमान है? ये सत्य है की पुरा ब्रह्माण्ड एक ऊर्जा से ही काम करता है, सब कुछ ऊर्जा से ही होता है, ब्रह्माण्ड में जितने ग्रह हैं सब कार्य कर रहे हैं, ब्लैकहोल हैं वो सब भी कार्य कर रहे हैं, सब एक ऊर्जा से चल रहे हैं पर उस एनर्जी के चलने में कुछ नियम लगे हैं, वो एनर्जी कुछ सोच समझ कर कार्य नहीं कर रही है, या कोई शक्ति उनसे सोच समझ कर कार्य नहीं करवा रही है, अगर कोई शक्ति सोच समझ कर कार्य करवा रही होती तो ब्रह्मांड एक दम परफेक्ट रूप से चलता, कोई उल्का पिंड धरती पर नहीं गिरते, या कोई और भयानक हल चल ब्रह्मांड में नहीं होती, जैसे एक नदी बहती है अपने नियम से, उसमे एक तर्क लगा है, पहाड़ से गिरती है दुसरी तरफ बह कर जाती है, उस नदी के बह ने में कोई शक्ति कार्य कर रही है ऐसा नहीं कहा जा सकता, मानव नाम की प्रजाति पैदा ही तभी हुई, जब प्रकृति में मानव जैसे जीव के रहने लायक वातावरण बना, न की पहले इंसान पैदा हुआ और फिर भगवान ने उसके लिए ऑक्सीजन पानी ये सब बनाया, हमारे प्रुवज ब्रह्मांड के नियमों को नहीं समझते थे, इसलि...

रामायण, महाभारत सब काल्पनिक कहानियां हैं, इतिहास नहीं। यह बात सुप्रीमकोर्ट ने भी मानी है

 हिन्दू धर्म ग्रन्थ मनोरंजन, रहस्यमय, अद्भुत कहानियों का पिटारा रामायण, महाभारत सब काल्पनिक कहानियां हैं, इतिहास नहीं। यह बात सुप्रीमकोर्ट ने भी मानी है  न कभी सतयुग, द्वापर, त्रेता युग था और न ही कोई शंकर, राम, कृष्ण, हनुमान, रावण आदि पैदा हुए।  ये सब ब्राह्मणों की लिखी काल्पनिक कहानियों के काल्पनिक पात्र हैं। वैसे ही जैसे स्पाइडर मैन और शक्तिमान जैसी कहानियां हैं। यदि कुछ पढ़े लिखे हो तो मानव सभ्यता के विकास का इतिहास पढ़िए।  मानव कब तक जंगलों में शिकार करके कच्चा मांस खाकर जीवित रहा ,कब आग का आविष्कार करके मांस भूनकर खाने लगा ,कब से खेती करने लगा ,कब पत्तों से तन ढकना शुरू किया, कब कपड़े का आविष्कार हुआ, कब लोहा, तांबा, पीतल, सोना, चांदी आदि धातुओं का आविष्कार कब हुआ।  कब मानव ने लिखना पढ़ना शुरू किया, कब कागज का आविष्कार हुआ। यह सब कुछ पूरे विश्व के इतिहास में दर्ज है और यह सब कुछ हजार साल पहले का इतिहास है, जो पुरातात्विक सबूतों का अध्ययन करके लिखा गया है।  इसलिए तर्कशील बनिए बच्चों को भी तर्कशील बनाइए । जबसे लोहे का आविष्कार हुआ यानी अड़तीस सौ साल के ...

आर्य विदेशी है प्रमाण

 #आर्य विदेशी है प्रमाण । 1. ऋग्वेद में श्लोक 10 में लिखा है कि हम (वैदिक ब्राह्मण ) उत्तर ध्रुव से आये हुए लोग है। जब आर्य व् अनार्यो का युद्ध हुआ । 2. The Arctic Home At The Vedas बालगंगाधर तिलक (ब्राह्मण) के द्वारा लिखी पुस्तक में मानते है कि हम बाहर आए हुए लोग है । 3. जवाहर लाल नेहरु ने (बाबर के वंशज फिर कश्मीरी पंडित बने) उनकी किताब Discovery of India में लिखा है कि हम मध्य एशिया से आये हुए लोग है। यह बात कभी भूलना नही चाहिए। ऐसे 30 पत्र इंदिरा जी को लिखे जब वो होस्टल में पढ़ रही थी। 4. वोल्गा टू गंगा में “राहुल सांस्कृतयान” (केदारनाथ के पाण्डेय ब्राहम्ण) ने लिखा है कि हम बाहर से आये हुए लोग है और यह भी बताया की वोल्गा से गंगा तट (भारत) कैसे आए। 5. विनायक सावरकर ने (ब्राम्हण) सहा सोनरी पाने “इस मराठी किताब में लिखा की हम भारत के बाहर से आये लोग है। 6. इक़बाल “काश्मीरी पंडित ” ने भी जिसने “सारे जहा से अच्छा” गीत लिखा था कि हम बाहर से आए हुए लोग है। 7. राजा राम मोहन राय ने इग्लेंड में जाकर अपने भाषणों में बोला था कि आज मै मेरी पितृ भूमि यानि अपने घर वापस आया हूँ। 8. मोहन दास करम...

साइमन कमीशन पर एक सच्चाई जो हमारे सामने गलत रूप से पेश की गई!

 साइमन कमीशन पर एक सच्चाई जो हमारे सामने गलत रूप से पेश की गई!                                            भारत में आज तक ये ही पढ़ाया गया था, कि गांधी ने साइमन कमीशन का विरोध किया!  लेकिन ये नहीं पढ़ाया जाता कि तीन शख्स थे जिन्होंने साइमन कमीशन का स्वागत किया!   इन तीनो शख्सो के नाम निम्न है - 1- सर छोटूराम जी, जो पंजाब से थे 2- एससी से डॉक्टर बाबा सहाब अम्बेडकर जी, जो महाराष्ट्र से थे! 3- ओबीसी से शिव दयाल चौरसिया जी, जो यूपी से थे!    अब सवाल ये उठता है कि गांधी ने साइमन का विरोध क्यों किया?  क्योंकि 1917 में अंग्रेजो ने एक एक कमेटी का गठन किया था, जिसका नाम था साउथ बरो कमिशन!  जो कि भारत के शूद्र अति शूद्र अर्थात आज की भाषा में एससी एसटी और ओबीसी के लोगों की पहचान कर उन्हें हर क्षेत्र में अलग अलग प्रतिनिधित्व दिया जाए और हजारों सालों से वंचित इन 85% लोगों को हक अधिकार देने के लिए बनाया गया था!  उस समय ओबीसी की तरफ से शाहू महाराज ने भास्...