Skip to main content

राजकुमारी होलिका कश्यप की सच्चाई

 राजकुमारी होलिका कश्यप की सच्चाई :- भारत देश के मूलनिवासियों की हार सर्वणों की जीत.…....…..…….…



 हिरण्यकश्यप हरदोई जिला (जिसका नाम हरिद्रोही था) उत्तर प्रदेश के निवासी बैकवर्ड थे, हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिनका नाम होलिका था वो बहुत ही सुंदर होने के साथ साथ युद्ध कला में भी निपुण व बहादुर थी, उनकी सुंदरता को देखते हुए सर्वण जाति के लोग काफी जलते थे! हिरण्यकश्यप का एक बिगड़ैल लड़का प्रह्लाद था, जिसका संगत स्वर्ण के लड़को के साथ गलत चाल चलन हो गया था जिसके कारण हिरण्यकश्यप उसको लेकर काफी चिंतित और परेशान हुआ करते थे,

 इसलिए ब्राह्मण उनसे चिढ़ा करते थे, एक दिन प्रह्लाद ब्राह्मण के लड़को के साथ जंगल मे मौज मस्ती करने गया हुआ था, उसकी बुआ होलिका उसका खाना लेकर जंगल मे गइ लेकिन वहा प्रह्लाद नही मिला,

 लेकिन वहा ब्राह्मणों के लड़के मिल गए उन लोगो ने उसके साथ बलात्कार किया, और कहा कि इस मामले को यदि हिरण्यकश्यप को बताएगी तो हमलोग तुम्हे जान से मार देंगे लेकिन होलिका बोली की हम अपने भाई को बताएंगे कि तूम लोगो ने मेरे साथ बलात्कार किया है,।

 तो इतना सुनकर स्वर्ण के लड़को ने होलिका को मारकर जंगल से लकड़ी तोड़कर वही उसको जला दिया और वहा से भाग गए, लेकिन यह जानकारी हिरण्यकश्यप को हो गई।

 लेकिन बैकवर्ड sc st obc के लोगो को यह पता नही था कि होली पर यह सब कुछ वास्तव मे किस बात की पार्टी हो रही है और लोग मनुवादियों के साथ सम्मलित हो गया धीरे-धीरे यह स्वर्णो का त्योहार हो गया था,

 जिसको धीरे-धीरे sc st obc मूलनिवासी के बेवकुफ लोग भी शामिल हो गए इसके बाद यह सालो साल त्योहार के रूप मे मनाया जाने लगा लगा, 

भारत मे जितने त्योहार मनाए जाते है वह सब बैकवर्ड sc st obc के लोगो को हार और फॉरवर्ड यानी स्वर्ण या आर्य अग्रणी के जीत के खुशी मे मनाए,

 जाते है उसी को त्योहार कहते है¡

 जरा सोचिए.…...?

 उच्चतम तापमान के जलते हुए आग पर एक ही समान दो वस्तुएं रखी जाए एक जल जाए दूसरी बच जाए ये कैसे संभव हो सकता है।🤔

त्यौहार शब्द का अगर मतलब निकाला जाए तो :- त्यो+हार=मतलब तुम्हारी हार 

एक और जरूरी बात होली में इस्तेमाल होने वाला अबीर कोई रंग का नाम नहीं है, अबीर शब्द को समझा जाए तो :- अ+बीर=मतलब तुम वीर नहीं अबीर हो कायर हो, 

जब हिरणयकश्यप को अपराधियों के बारे में पता चला तो उसने होलिका के हत्यारों को पकड़वाकर उनके माथे पर तलवार से निशान काट दिया, और बता दिया कि ये वीर नहीं कायर है अबीर है!

होली कोई त्यौहार नहीं इस देश के मूलनिवासियों के हार का जश्न है जिसे हम लोग अपनी हार को जश्न के रूप में मनाते है!


रिपोर्ट:- उमेश कुमार निषाद (सुल्तानपुर यूपी)

Comments

Popular posts from this blog

नास्तिक -चार्वाक ऋषि -- जगत सत्यम ब्रह्म मिथ्या!!

 4 नास्तिक -चार्वाक ऋषि -- जगत सत्यम ब्रह्म मिथ्या!!                  नास्तिक दर्शन भारतीय दर्शन परम्परा में उन दर्शनों को कहा जाता है जो वेदों को नहीं मानते थे। भारत में भी कुछ ऐसे व्यक्तियों ने जन्म लिया जो वैदिक परम्परा के बन्धन को नहीं मानते थे वे नास्तिक कहलाये तथा दूसरे जो वेद को प्रमाण मानकर उसी के आधार पर अपने विचार आगे बढ़ाते थे वे आस्तिक कहे गये। नास्तिक कहे जाने वाले विचारकों की तीन धारायें मानी गयी हैं - चार्वाक, जैन तथा बौद्ध। . चार्वाक दर्शन एक भौतिकवादी नास्तिक दर्शन है। यह मात्र प्रत्यक्ष प्रमाण को मानता है तथा पारलौकिक सत्ताओं को यह सिद्धांत स्वीकार नहीं करता है। यह दर्शन वेदबाह्य भी कहा जाता है। वेदबाह्य दर्शन छ: हैं- चार्वाक, माध्यमिक, योगाचार, सौत्रान्तिक, वैभाषिक, और आर्हत। इन सभी में वेद से असम्मत सिद्धान्तों का प्रतिपादन है। चार्वाक प्राचीन भारत के एक अनीश्वरवादी और नास्तिक तार्किक थे। ये नास्तिक मत के प्रवर्तक बृहस्पति के शिष्य माने जाते हैं। बृहस्पति और चार्वाक कब हुए इसका कुछ भी पता नहीं है। बृहस्पति को चाणक्य न...

बौद्धों को मध्ययुगीन भारत में "बुद्धिस्ट-वैष्णव" (Buddho-Vaishnavas) क्यों बनना पडा था|

 बौद्धों को मध्ययुगीन भारत में "बुद्धिस्ट-वैष्णव" (Buddho-Vaishnavas)  क्यों बनना पडा था| अनेक लोग यह मानते हैं कि, सम्राट हर्षवर्धन और बंगाल के पाल सम्राटों के बाद भारत से बौद्ध धर्म खत्म हुआ था, लेकिन यह गलत है| मध्ययुगीन काल में भारत से बौद्ध धर्म खत्म नहीं हुआ था, बल्कि वह प्रछन्न वैष्णव धर्म के रूप में जीवित था|  ब्राम्हणों ने बौद्ध धर्म के खिलाफ भयंकर हिंसक अभियान सम्राट हर्षवर्धन की मृत्यु (सन 647) के बाद चलाया था| बौद्धों का खात्मा करने के लिए पाशुपत और कापालिक जैसे हिंसक शैव पंथ बनाए गए थे| आदि शंकराचार्य खुद शैव पंथी था और उसने बौद्ध विहारों पर कब्जा करने के लिए ब्राम्हणवादी साधुओं की खास सेना बनवाई थी, ऐसा प्रसिद्ध इतिहासकार तथा संशोधक जियोवान्नी वेरार्डी ने बताया है|  हिंसक शैवों ने बुद्ध के स्तुपों को और सम्राट अशोक के शिलास्तंभों को हिंसक युपों में तब्दील कर दिया था, जहाँ पर शेकडो प्राणियों की बलि दी जाती थी और बुद्ध के अहिंसा तत्व का खुलेआम विरोध किया जाता था| कुछ यज्ञों के युपों पर आज भी नीचे बुद्ध की मुर्ति दिखाई देती है| शैवों और बौद्धों के बीच चले ...

डॉ_अंबेडकर_और_करपात्री_महाराज

*डॉ_अंबेडकर_और_करपात्री_महाराज* *बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जब हिन्दू कोड बिल तैयार करने में लगे थे तब बनारस/कांशी के सबसे बड़े धर्मगुरु स्वामी करपात्री महाराज उर्फ हरिनारायण ओझा उर्फ हरिहरानन्द सरस्वती, जिन्होंने 'अखिल भारतीय रामराज्य परिषद' नामक एक राजनैतिक दल की स्थापना की थी जिसने 1952 में लोकसभा के प्रथम आम चुनाव में 03 सीटें जीतीं थी, ने बाबासाहेब को बहस करने की चुनौती दे डाली।*  *करपात्री ने कहा, "डॉ0 अम्बेडकर एक अछूत हैं वे क्या जानते हैं हमारे धर्म के बारे मे, हमारे ग्रन्थ और शास्त्रों के बारे में, उन्हें कहाँ संस्कृत और संस्कृति का ज्ञान है ? यदि उन्होंने हमारी संस्कृति से खिलवाड़ किया तो उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे।"*  *करपात्री महाराज ने डॉ0 अम्बेडकर को इस पर बहस करने हेतु पत्र लिखा और निमंत्रण भी भेज दिया।*  *उस समय करपात्री महाराज दिल्ली में यमुना के किनारे निगम बोध घाट पर एक आश्रम में रहते थे।*  *बाबासाहेब बहुत शांत और शालीन स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्होंने आदर सहित करपात्री महाराज को पत्र लिखकर उनका निमंत्रण स्वीकार किया और कहा कि ...