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Showing posts from March, 2021

सवर्ण हिंदुओं की आज भी मान्यता है कि दलितों ने कभी मरे जानवरों जैसे गाय, बैल, भैंस आदि का मांस खाया इसलिए वे व्यवस्था से वंचित और घृणित हुये।

  हालांकि ऐसे लोग यह समझने में आज भी नाकाम है कि आदिमानव मांस खाकर ही जिंदा रहे आधुनिक मनुष्य ने लगभग 10 हजार वर्षों में ही खेती करना सीखा है। उससे पूर्व मांस भक्षण ही चारा था लेकिन वे यह समझने में नाकाम है कि सृष्टि की रचना नहीं हुई बल्कि विकासक्रम में निर्माण हुआ है।  उससे भी बड़ी बात यह है कि मनुष्य पहले सबकुछ खाता था और धीरे धीरे वह अत्याचारी, निरंकुश, क्रूर तथा अराजक हो गया। जिसके चलते बुद्ध ने अहिंसा का सिद्धांत प्रतिपादित कर जानवरों पर हिंसा, क्रूरता हेतु दया जताई और मरे मांस के भक्षण को ही उचित कहा। बुद्ध के इस सिद्धांत से लोग प्रभावित हुये और अहिंसा को प्रत्येक व्यक्ति ने आत्मसात किया गया तथा मांसाहार बहुत कम हो गया और जीवदया अधिक बढ़ गई थी। इस सिद्धान्त के बदले ब्राह्मणों ने दोहरी क्रांति करते हुये पूर्ण शाकाहार का सुझाव लाते हुए इसे धर्म मे प्रतिपादित किया और वे शाकाहार में और अधिक सफल हुये। यहीं से पूर्ण शाकाहारी सिद्धांत की नींव पड़ी। बहरहाल! इस क्रम को सभी हिन्दू कभी खुलकर स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि फिर सबकुछ डगमगा जायेगा पर मैंने जैसा शुरू में कहा कि सवर्ण हिंदु...

अमरनाथ की गुफा में बना हुआ बर्फ का पिंड भगवान नहीं

 स्वामी अग्निवेश ने कहा कि अमरनाथ की गुफा में बना हुआ बर्फ का पिंड भगवान नहीं है वह तो एक सीधी सादी वैज्ञानिक तौर पर समझने लायक चीज़ है  अगर उतनी ऊंचाई पर इतने कम तापमान पर गुफा की छत से पानी टपकेगा तो पिंड के रूप में जमेगा ही   उसकी पूजा करना उस यात्रा के दौरान कई लोगों का हर साल मर जाना यात्रा के लिए सेना लगाना अंधविश्वास है  इतना बोलते ही हिंदुत्व के नाम पर भारत में बच्चों और युवाओं को मूर्ख बनाने वाले गुंडे सक्रीय हो गये  स्वामी अग्निवेश का गला काट कर लाने वाले को दस लाख रूपये के इनाम की घोषणा कर दी गई  स्वामी अग्निवेश के खिलाफ एफआईआर की झड़ी लग गई  दो दो जिला अदालतों ने उनके खिलाफ वारंट निकाल दिए  ठीक जैसे जब ब्रूनो ने कहा कि बाइबिल में गलत लिखा है कि सूर्य पृथ्वी के चारों तरफ घूमता है  सत्य यह है कि पृथ्वी ही सूर्य के चरों तरफ घूमती है  इस बात पर चर्च के पादरियों ने ब्रूनों को जिंदा जला दिया था  आज हम ईसाईयों की इस बात के लिए आलोचना करते हैं  लेकिन खुद अंधविश्वास में डूबे रहकर सच बोलने वाले का गला काटने की घोषणा करने ...

1859 को राजा के एक आदेश के जरिए महिलाओं के ऊपरी वस्त्र न पहनने के कानून को बदल दिया गया।

 आजकल देश में संस्कृति को लेकर एक अजीबोगरीब बहस छिड़ी हुई है। कोई कहता है महिलाओं को फ़टी जीन्स नहीं पहननी चाहिए, कोई कह रहा पाश्चात्य संस्कृति ने भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात किया है। इतिहास की पड़ताल करने से पता चलता है कि संस्कृति की बातें करने वाले भारत में ही महिलाओं को अपने स्तन ढकने का अधिकार पाने के लिए भी बड़ा संघर्ष करना पड़ा था।  केरल के त्रावणकोर इलाके पर वहां की महिलाओं को 26 जुलाई 1859 में वहां के महाराजा ने अवर्ण औरतों को।शरीर के ऊपरी भाग पर कपड़े पहनने की इजाजत दी। उन महिलाओं को अंगवस्त्र या ब्लाउज पहनने का हक पाने के लिए 50 साल से ज्यादा सघन संघर्ष करना पड़ा। इस कुरूप परंपरा की चर्चा में खास तौर।पर निचली जाति नादर की स्त्रियों का जिक्र होता है क्योंकि अपने वस्त्र पहनने के हक के लिए उन्होंने ही सबसे। पहले विरोध जताया। उस समय न सिर्फ अछूत ही नहीं बल्कि नंबूदिरी ब्राहमण और क्षत्रिय नायर जैसी जातियों की औरतों पर भी शरीर का ऊपरी हिस्सा ढकने से रोकने के कई नियम थे। नंबूदिरी औरतों को घर के भीतर ऊपरी शरीर को खुला रखना पड़ता था। वे घर से बाहर निकलते समय ही अपना सीना ढक सकती...

चंद्रशेखर ने संयुक्त राष्ट्र में उठाया मानवाधिकार का मुद्दा

चंद्रशेखर ने संयुक्त राष्ट्र में उठाया मानवाधिकार का मुद्दा चंद्रशेखर आज़ाद वीडियो साथ भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के समक्ष किसान आंदोलन एवं सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों के साथ हुए मानवाधिकार उल्लंघन का मुद्दा उठाया हैं। चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने इस दौरान संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से कहा कि भारत की सरकार अपने आंदोलनकारी नागरिकों के मानवाधिकारों का मूल रूप से हनन कर रही हैं और प्रताड़ित कर रही है। भीम आर्मी चीफ़ चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में प्रत्यक्ष रूप से किसान आंदोलन‌ और सीएए विरोधी आंदोलन से जुड़े लोगों के साथ हुए मानवाधिकार उल्लंघन पर बात रखी। चंद्रशेखर रावण ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में लोगों के मानवाधिकार होते हैं और वे मानवाधिकार स्वतंत्र होते हैं। लेकिन भारत में सरकार द्वारा इन्हीं स्वतंत्र मानवाधिकारों को कुचला जा रहा है। चंद्रशेखर रावण ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के समक्ष कहा कि भारत में सरकार के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले लोगों को अलोकतांत्रिक तरीको...

ज्वालादेवी की लौ जिसे हमारे देश वाले चमत्कार मानते है, ये सिर्फ हमारे देश मे नहीं और देशों में भी है

 ज्वालादेवी की लौ जिसे हमारे देश वाले चमत्कार मानते है, ये सिर्फ हमारे देश मे नहीं और देशों में भी है पर दूसरे देशों में इसको चमत्कार का नाम नही दिया गया क्योंकि लोग सच जानते है। उदाहरण के लिए न्यूयॉर्क के चेस्टनेट रिज काउंटी पार्क में एटरनल फ्लेम फाल्स नामक झरना। यहां भी पानी के बीच ज्वाला जलती है, पर लोग इसको पूजते नहीं, क्योंकि जानते है धरती में मौजूद मीथेन गैस के रिसाव के कारण आग जलती रहती है। ज़मीन से तेल और गैस निकालने वाली कंपनियां जैसे ongc, iocl आदि जब समुद्र से तेल या गैस निकालते है तो समुद्र के बीच मे भी ऐसी ज्वाला जलती नज़र आती है।  पशु या पेड़-पौधे जो मिट्टी में दब जाते है, वो धीरे-धीरे हाइड्रोकार्बन में टूटते है और जीवाश्म ईंधन या फॉसिल फ्यूल में बदल जाते है। जैसे कोयला, मीथेन, प्राकृतिक गैस आदि। इसके अतिरिक्त हिमालय के निचले भाग जहां मंदिर है वहां ऐसे ईंधन ज्यादा होते है। ज्वाला देवी की लौ भी धरती से रिसने वाली मीथेन या कोई अन्य ज्वलनशील गैस के कारण है जैसे प्राकृतिक गैस (NPG)। आप रसोई घर की LPG गैस पर आश्चर्य नही करते क्योंकि सच जानते है कि सिलिंडर में जो गैस है, ...

नास्तिक -चार्वाक ऋषि -- जगत सत्यम ब्रह्म मिथ्या!!

 4 नास्तिक -चार्वाक ऋषि -- जगत सत्यम ब्रह्म मिथ्या!!                  नास्तिक दर्शन भारतीय दर्शन परम्परा में उन दर्शनों को कहा जाता है जो वेदों को नहीं मानते थे। भारत में भी कुछ ऐसे व्यक्तियों ने जन्म लिया जो वैदिक परम्परा के बन्धन को नहीं मानते थे वे नास्तिक कहलाये तथा दूसरे जो वेद को प्रमाण मानकर उसी के आधार पर अपने विचार आगे बढ़ाते थे वे आस्तिक कहे गये। नास्तिक कहे जाने वाले विचारकों की तीन धारायें मानी गयी हैं - चार्वाक, जैन तथा बौद्ध। . चार्वाक दर्शन एक भौतिकवादी नास्तिक दर्शन है। यह मात्र प्रत्यक्ष प्रमाण को मानता है तथा पारलौकिक सत्ताओं को यह सिद्धांत स्वीकार नहीं करता है। यह दर्शन वेदबाह्य भी कहा जाता है। वेदबाह्य दर्शन छ: हैं- चार्वाक, माध्यमिक, योगाचार, सौत्रान्तिक, वैभाषिक, और आर्हत। इन सभी में वेद से असम्मत सिद्धान्तों का प्रतिपादन है। चार्वाक प्राचीन भारत के एक अनीश्वरवादी और नास्तिक तार्किक थे। ये नास्तिक मत के प्रवर्तक बृहस्पति के शिष्य माने जाते हैं। बृहस्पति और चार्वाक कब हुए इसका कुछ भी पता नहीं है। बृहस्पति को चाणक्य न...

मैं नास्तिक क्यों भगत सिंह

  एक बार भगत सिंह कहीं जा रहे हैं थे रेलगाड़ी से और एक स्टेशन पर गाड़ी रुकी गाड़ी को बहुत देर रुकना था तो भगतसिंह पानी पीने के लिए उतरे* पास ही एक कुँए के पास गये ,और पानी पिया तभी उनकी नजर कुछ दूर पर खड़े एक शख्स पर पड़ी जो धूप में नंगे बदन खड़ा था और बहुत भारी वजन उसके कंदे पर रखा था तरसती हुई आंखों से पानी की ओर देख रहा था मन मे सोच रहा था ,मुझको थोड़ा पानी पीने को मिल जाये भगत सिंह उसके पास गए,और पूछने लगे आप कौन हो और इतना भारी वजन को धूप में क्यो उठाये हो* तो उसने डरते हुए कहा,साहब आप मुझसे दूर रहे नही तो आप अछूत हो जायँगे क्योकि मैं एक बदनसीब अछूत हूँ भगत सिंह ने कहा आपको प्यास लगी होगी पहले इस वजन को उतारो और मैं पानी लाता हुँ आप पानी पी लो भगत सिंह के इस व्यवहार से वह बहुत खुश हुआ भगत सिंह ने उसको पानी पिलाया और फिर पूछा आप अपने आपको अछूत क्यो कहते हो तो उसने जबाब दिया हिम्मत करते हुए अछूत मैं नही कहता अछूत तो मुझको एक वर्ग विशेष के लोग बोलते हैं और मुझसे कहते हैं आप लोग अछूत हो  तुमको छूने से धर्म भृष्ट हो जयेगा और मेरे साथ जानवरों जैसा सलूक करते हैं आप ने तो मुझको पानी पिल...

राजकुमारी होलिका कश्यप की सच्चाई

 राजकुमारी होलिका कश्यप की सच्चाई :- भारत देश के मूलनिवासियों की हार सर्वणों की जीत.…....…..…….…  हिरण्यकश्यप हरदोई जिला (जिसका नाम हरिद्रोही था) उत्तर प्रदेश के निवासी बैकवर्ड थे, हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिनका नाम होलिका था वो बहुत ही सुंदर होने के साथ साथ युद्ध कला में भी निपुण व बहादुर थी, उनकी सुंदरता को देखते हुए सर्वण जाति के लोग काफी जलते थे! हिरण्यकश्यप का एक बिगड़ैल लड़का प्रह्लाद था, जिसका संगत स्वर्ण के लड़को के साथ गलत चाल चलन हो गया था जिसके कारण हिरण्यकश्यप उसको लेकर काफी चिंतित और परेशान हुआ करते थे,  इसलिए ब्राह्मण उनसे चिढ़ा करते थे, एक दिन प्रह्लाद ब्राह्मण के लड़को के साथ जंगल मे मौज मस्ती करने गया हुआ था, उसकी बुआ होलिका उसका खाना लेकर जंगल मे गइ लेकिन वहा प्रह्लाद नही मिला,  लेकिन वहा ब्राह्मणों के लड़के मिल गए उन लोगो ने उसके साथ बलात्कार किया, और कहा कि इस मामले को यदि हिरण्यकश्यप को बताएगी तो हमलोग तुम्हे जान से मार देंगे लेकिन होलिका बोली की हम अपने भाई को बताएंगे कि तूम लोगो ने मेरे साथ बलात्कार किया है,।  तो इतना सुनकर स्वर्ण के लड़को...