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Showing posts from October, 2021

चमड़े के नोट व सिक्के चलाने वाले चमरदल के राजा की ऐतिहासिक धरोहर हो रही जर्जर

 चमड़े के नोट व सिक्के चलाने वाले चमरदल के राजा की ऐतिहासिक धरोहर हो रही जर्जर *इटारसी*। सतपुड़ा के जंगलों के बीच तवा बांध की तलहटी किनारे मौजूद राजा चमरदल का ऐतिहासिक किला पुरातत्व विभाग एवं सरकार की उपेक्षा का शिकार है। प्राचीनकाल के गौरवशाली इतिहास एवं चमरदल वंश की यादों को समेटे खड़े इस किले को पर्यटन के नक्शे पर जीवंत कर इसे अच्छा हैरीटेज बनाया जा सकता है, लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के चलते यह किला नक्शे से ही गायब है। इस मामले में अहिरवार समाज के कार्यकर्ता अब आगे आए हैं और इस धरोहर को बचाने के लिए मुहिम शुरू करने जा रहे हैं। *क्या है प्राचीन इतिहास* इतिहास के जानकार बताते हैं कि तवा नदी पर जहां तवा बांध मौजूद है। उसके पास मेन केनाल नहर के दाईं ओर करीब 20 एकड़ जमीन पर चमरदल राजा का किला मौजूद है, जो पुरातत्व विभाग की अनदेखी के चलते खंडहर में तब्दील हो चुका है। महल के समीप पानी के कुंड एवं बाबड़ी बनी हुई है जो लगभग 50 फीट गहरी थी और रखरखाव न होने से अब विलुप्त हो रही है। प्राचीन बावड़ी के समीप अंदर स्नान कुंड था जहां रानियां स्नान किया करती थीं। इसी कुंड से एक गुप्त रास्ता था जो त...

सबको पार्ले जी बिस्किट खाना है नहीं तो उनके साथ अनहोनी हो सकती है.

 लगभग 1 वर्ष पूर्व पार्ले बिस्किट कंपनी के एक बड़े अधिकारी ने कहा था कि नकदी के संकट से जूझ रहे ग्रामीण लोग 5 रुपए का पार्ले जी का पैकेट भी नहीं खरीद पा रहे है. मांग काफी घट गई है. अब अचानक ऐसा समय आया कि बिहार के सीतामढ़ी में पार्ले जी बिस्किट की मांग इतनी बढ़ गई कि स्टाक ही खत्म हो गया. इसके पीछे अफवाह और अंधविश्वास ने काम किया. मार्केटिंग का ऐसा तरीका तो कंपनी ने भी सोचा न होगा. हुआ यों कि सीतामढ़ी में जितिया पर्व से जोड़कर अफवाह फैलाई गई कि घर में जितने भी बेटे हैं, उन सबको पार्ले जी बिस्किट खाना है नहीं तो उनके साथ अनहोनी हो सकती है. माताएं अपने पुत्र की दीर्घ आयु, स्वास्थ्य और सुखी जीवन के लिए यह व्रत करती हैं. इस अफवाह की वजह से पार्ले जी बिस्किट खरीदने दुकानों में भीड़ उमड़ पड़ी और देखते ही देखते इस बिस्किट का स्टाक खत्म हो गया. भावुक और भावनाप्रधान महिलाओं ने यह भी नहीं सोचा कि किसी धर्म-शास्त्र या परंपरा में पार्ले जी बिस्किट खाने का उल्लेख ही नहीं है. भारत में पहले कभी ब्रेड, बिस्किट, टोस्ट थे ही नहीं. अंग्रेजी हुकूमत में ये चीजें देश में शुरू हुईं. फिर धर्म या त्योहार से बिस...